ग्रीन बिल्डिंग मूवमेंट - बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ़ और पर्यावरण का दोस्त

13 Nov 2019

भारत कार्बन डाई ऑक्साइड गैस उत्सर्जन के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों की श्रेणी में शामिल है। कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की बढ़ती समस्या में बिल्डिंग निर्माण की भी एक बड़ी भूमिका है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2025 तक भारत कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में विश्व में तीसरे स्थान पर होगा। आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है। जलवायु परिवर्तन से पैदा हुई समस्याओं से निपटने के लिए भारत के कुछ समूह ग्रीन बिल्डिंग मूवमेंट को बढ़ावा दे रहे हैं और इन मूवमेंट में से एक है- ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटैट असेसमेंट (GRIHA)।

PCNTDA
पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण की ग्रीन बिल्डिंग

GRIHA क्या है ?

  • GRIHA भारत का एक राष्ट्रीय रेटिंग सिस्टम है।
  • यह कुछ चुनिंदा मापदंडो के आधार पर बिल्डिंग्स को रेटिंग देती है। इमारत की ऊर्जा क्षमता और उसके पर्यावरण पर प्रभाव जैसे मापदंड इसमें शामिल हैं।
  • रेटिंग स्कोर के आधार पर, इमारतों को 1 से 5 के बीच स्टार दिए जाते हैं।

प्रत्येक GRIHA भवन इन चीज़ों को कम करने में मदद करता है,

  • 30 - 40% परिचालन लागत का परियोजना लागत पर न के बराबर प्रभाव
  • 30 - 50% ऊर्जा की खपत
  • 40 - 65% इमारत में पानी की खपत

"GRIHA एक ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन सिस्टम है, जो बिल्डिंग्स के पर्यावरण पर प्रभाव को देखते हुए उन्हें रेटिंग देता है। इसमें एक बिल्डिंग की ऊर्जा दक्षता, पानी का इस्तेमाल, बिल्डिंग बनाने में प्रयोग होने वाले माल को देखा जाता है और साथ ही यह हमें पर्यावरण के अनुकूल एक ग्रीन बिल्डिंग और उसे बनाये रखने के मापदंड बताता है" - डॉक्टर अजय माथुर,डायरेक्टर जनरल,टेरी।

Ajay Mathur

ग्रीन बिल्डिंग मूवमेंट का हिस्सा बने हैं पुणे के प्राइवेट बिल्डिंग डेवलपर संदीप सोनिगरा। संदीप ने GRIHA के रेटिंग सिस्टम के अनुसार ही अपार्टमेंट परिसर बनाया है। संदीप कहते है, "हमने एक सेमिनार में हिस्सा लिया, वहां हमें GRIHA और इसकी रेटिंग प्रणालियों के बारे में पता चला। उसके बाद हमने अपनी परियोजना रॉयल ऑरेंज काउंटी (ROC) के लिए GRIHA रेटिंग सिस्टम को अपनाने का फैसला किया, इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हमनें 2013 में शुरू की थी। मटेरियल के इस्तेमाल में हमने कार्बन फुटप्रिंट की गणना की और पाया की सीमेंट सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। इसलिए जहां भी संभव हो हम सीमेंट को रिप्लेस करने की कोशिश करते हैं और चूना सीमेंट का सबसे एक अच्छा विकल्प है। हमने कोशिश की है कि हम सोलर एनर्जी को शत प्रतिशत अपनाएँ। इसलिए हमारे अपार्टमेंट में बल्ब, टीवी, कंप्यूटर और रेफ्रिजरेटर ये सब कुछ सौर ऊर्जा से चलते हैं।

Royal Orange County
यहाँ अपार्टमेन्ट्स में बल्ब, टीवी, कंप्यूटर और रेफ्रिजरेटर ये सब कुछ सौर ऊर्जा से चलते हैं।

कचरे से खाद, वर्षा के पानी का संचयन और दूषित जल के पुनर्चक्रण जैसी कई अन्य विशेषतायें हैं जो ROC को एक आत्मनिर्भर निवास बनाती हैं। यहाँ के निवासी नीलेश और माधुरी छाजेड़ इस परिसर में रहने के अनुभव को खास मानते हैं वे कहते हैं, "हम ROC में पिछले 2-3 साल से रह रहे हैं। यह हमारा सबसे अच्छा अनुभव है। इस तरह का ग्रीन एरिया और ग्रीन डेवलपमेंट हमने पहले कभी नहीं देखा। यह सिर्फ़ एक मार्केटिंग फीचर नहीं है। दिन का उजाला, प्राकृतिक प्रकाश, वेंटिलेशन और बिजली का कम बिल ये सभी हमारी मदद करते हैं। महीने का बिजली बिल सिर्फ़ 150-200 रुपए ही आता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।"

प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है ऐसे में अगर ग्रीन बिल्डिंग मूवमेंट की ज़रूरत को समझ लिया जाए तो इसके कई फायदे होंगे. बीते सालों में देश के अलग अलग शहर के लोगों में ग्रीन बिल्डिंग मूवमेंट को लेकर उत्सुकता बढ़ी है। पुणे के बाहरी इलाके के एक नए विकासशील शहर पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (PCMC ) ने GRIHA को अपनाया और पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम GRIHA को अपनाने वाले भारत के पहले नागरिक निकायों में से एक है।

म्युनिसिपल कारपोरेशन ऑफ़ पिंपरी चिंचवाड़ भारत की पहली ऐसी सिविक बॉडी है जिसने GRIHA को अपनाया है। श्री श्रवण हार्डिकर (IAS),(PCMC )आयुक्त कहते हैं "GRIHA हमारे शहर को अधिक से अधिक कार्बन मुक्त बनाने में मदद करता है और इसलिए नगर निगमों के रूप में हमने यह फैसला लिया है कि जो डेवलपर्स हरित भवन के लिए सर्टिफिकेट चाहते हैं हम उन्हें प्रोत्साहित करेंगे। इसलिए हमने संपत्ति कर छूट और विकास शुल्क में कमी करने का भी निर्णय लिया है।"

GRIHA विभिन्न स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार काम करता है। इसलिए आर्किटेक्ट और डेवलपर्स GRIHA की तरफ़ आकर्षित होते हैं। पुणे के डेवलपर संजय देशपांडे मानते हैं कि GRIHA रेटिंग सिस्टम को अपनाना डेवेल्पर्स के लिए आसान है। संजय कहते हैं, "भारत एक बड़ा देश है। यहाँ पर पर्यावरण सीधे भौगोलिक स्थितियों पर निर्भर करता है, आप दिल्ली से चेन्नई और महाराष्ट्र से कोलकाता तक एक समान मानकों को लागू नहीं कर सकते। इसलिए GRIHA ने क्षेत्रों के आधार पर विभिन्न मानक तैयार किए हैं जिन्हें डेवलपर्स के लिए अपनाना आसान है।"

Day light school
GRIHA रेटिंग सिस्टम के अनुसार बना SIS PREP (गुरुग्राम) स्कूल

SIS PREP (गुरुग्राम) स्कूल के मालिक सुमेश मित्तल अपने स्कूल के बच्चों के लिए कुछ अलग करना चाहते थे जहाँ पर विद्यार्थी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कुछ नया सीख सकें इसलिए उन्होंने GRIHA को अपनाया। सुमेश कहते हैं, "GRIHA का ख्याल हमारे मन में इसलिए आया था क्योंकि हम बच्चों के लिए एक ऐसा स्कूल बनाना चाहते थे जहाँ पर वे ज़मीनी स्तर पर कुछ बेहतर सीख सकें। GRIHA को अपनाने का एक प्रमुख कारण यह भी था कि हम देखना चाहते थे कि एक बिल्डिंग में ग्रीन बिल्डिंग के मानदंडों को अपनाने से कितना बदलाव आएगा। मेरे भवन की मुख्य विशेषता इसका आर्किटेक्चर है। यदि आप आर्किटेक्चर को देखते हैं, तो आप पाएंगे कि हर जगह पर प्राकृतिक प्रकाश आता है।"

GRIHA एक बिल्डिंग के डिज़ाइन पर खास ध्यान देता है। दिल्ली स्थित नॉर्वे दूतावास के एम्बेस्डर का कहना है कि, "GRIHA बेहद शानदार है और इसका उदाहरण यह है कि इसका मुख्या फोकस डिजाइन की तरफ है। यहां हर तरह के अच्छे तकनीकी गैजेट नहीं हैं, जो इसे अधिक टिकाऊ बनाए क्योंकि मूल रूप से यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसे अपनाना और बनाए रखना बेहद आसान है। देखा जाये तो यह स्थानीय परिस्थितियों तथा स्थानीय सामग्रियों को ध्यान में रखता है और इसे बड़ी आसानी से कहीं पर भी लागू किया जा सकता है. हमने अब तक जो भी परिणाम देखे हैं उससे हम बहुत खुश हैं। अब हमारी ऊर्जा की खपत बहुत कम है जो पहले काफी ज़्यादा थी।"

GRIHA बड़े संस्थान वाले भवनों के लिए काम करता है, इसके अलावा GRIHA COUNCIL ने TERI के साथ मिलकर छोटी इमारतों के लिए एक और रेटिंग प्रणाली विकसित की है जिसका नाम है SVAGRIHA। दिल्ली हाईवे राजमार्ग गजरौला, यूपी पर एक रेस्तरां है, भजन ढाबा, जिसे SVAGRIHA रेटिंग मिली है। इस ढाबे को चलाने वाले बेदी भाइयों ने प्राकृतिक विकल्पों को चुना। वे अपने ढाबे पर बनने वाले खाने के लिए सब्ज़ियां खुद उगाते हैं और फिर उसे बनाने के लिए बायोगैस का इस्तेमाल करते हैं और अपने फर्नीचर के लिए रीसायकल चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं, क्यूंकि उनके लिए प्राकृतिक विकल्प मौजूद हैं।

भजन ढाबा, गजरौला के मालिक विक्रमजीत सिंह बेदी कहते हैं, "मेरा पूरा परिवार प्रकृति प्रेमी है। फिर हमने सोचा कि क्यों न इसे जैविक बनाया जाए। फिर हमने लोगों से बात की कि कैसे हम कुछ हरा-भरा बनाएं। फिर एक दोस्त ने सुझाव दिया कि एक लड़का है तनु भट्ट जो अब हमारी बिल्डिंग का आर्किटेक्ट है।"

Bhajan dhaba
दिल्ली हाईवे राजमार्ग गजरौला (यूपी) पर भजन ढाबा को SVAGRIHA रेटिंग मिली है।

तनु भट्ट (आर्किटेक- भजन ढाबा) कहते हैं, "SVAGRIHA , GRIHA के ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग सिस्टम में छोटा संस्करण है। जो इमारत हम बनाते हैं, उसमें SVAGRIHA को अपनाना और उसका पालन करना बेहद सरल है। SVAGRIHA के सिद्धांत बड़े आसान हैं, ये वही हैं जो हम आमतौर पर अपनी इमारतों में लागू करते हैं। जैसे कि प्राकृतिक हवादार, दिन का उजाला और तापमान की उचित व्यवस्था। ये तीन प्रमुख कारक हैं जिनका हमने अनुसरण किया है।"

विक्रमजीत सिंह बेदी कहते हैं, "लोग हमारे भोजन का आनंद लेते हैं। उन्हें हमारा आइडिया पसंद आता है। वे एक अच्छे अनुभव के साथ यहाँ से जाते हैं। मुझे लगता है कि उनके चेहरे पर मुस्कान आना ही सबसे अच्छी प्रतिक्रिया है।"

संजय सेठ: (CEO, GRIHA COUNCIL) "हाल के वर्षों में यह एक बहुत ही मजबूत रेटिंग प्रणाली के रूप में विकसित हुआ है। रेटिंग सिस्टम में बड़े पैमाने पर मौजूदा इमारतों का विकास, नए और छोटे घरों के निर्माण भी किया जाते हैं।"

Sanjay Seth

GRIHA पेशेवरों, छात्रों और आरडब्ल्यूए की क्षमताओं का उपयोग करके ग्रीन बिल्डिंग आंदोलन को व्यापक रूप से फैला रहा है। झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान सहित कई राज्य सरकारें FAR(Floor area ratio) प्रोत्साहन, संपत्ति कर छूट और प्रीमियम में छूट के माध्यम से GRIHA को बढ़ावा दे रही हैं। पेरिस समझौते में भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं के तहत, GRIHA को जलवायु परिवर्तन शमन कार्यान्वयन को मापने के लिए एक उपकरण के रूप में भी स्वीकार किया गया है।

बीते कुछ सालों में हमारे सामने अनेक चुनौतियां पैदा हुई हैं और इन्हे में से एक है पर्यावरण संकट। हम लगातार विकास की ओर बढ़ रहे हैं। विकास की इस प्रक्रिया में बड़े स्तर पर हो रहे निर्माण कार्य प्रकृति और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। निर्माण से पैदा होने वाले पर्यावरण संकट से निपटने के लिए ग्रीन बिल्डिंग या हरित भवन मूवमेंट एक ज़रूरी कदम है।