सर्दियों में बढ़ने वाले पीएम 2.5 के स्तर को 46% तक कम किया जाना संभव, प्रदूषण के पीक और नॉन -पीक स्त्रोतों को कम करना होगा:टेरी

November 13, 2019
Reduce Delhi PM 2.5

नई दिल्ली नवंबर 13, 2019: हर साल सर्दियों के दौरान बिगड़ती वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (TERI) ने एक रणनीतिक योजना तैयार की है । द नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस कॉउंसिल(NRDC ) के सह-आयोजन में हुए सस्टेनेबल डायलॉग ऑन एयर पॉल्यूशन पर बोलते हुए टेरी के महानिदेशक डॉ अजय माथुर ने कहा, "दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या का हल निकाला जा सकता है । इसके लिए टेक्नोलॉजी भी है और उसकी लागत के समाधान भी। दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए पीक और नॉन-पीक प्रदूषण स्रोतों पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है और टेरी वायु प्रदूषण स्त्रोतों के इन निश्चित उपायों पर काम रहा है। हम तुरंत इस दिशा में काम करना शुरू कर सकते हैं, यदि सभी हितधारक एक साथ आ जाएँ ।"

डॉ सुमित शर्मा, निदेशक, अर्थ साइंस एंड क्लाइमेट चेंज डिवीज़न, टेरी ने कहा कि सर्दियों के दौरान पीक स्तर पर पहुँचने वाले वायु प्रदूषण को फसलों के अवशेष को जलाने और पटाखों को नियंत्रित कर रोका जा सकता है । ऐसा करने से प्रदूषण का स्तर 'Very Poor' श्रेणी में आ जाएगा । हालांकि, अगर हम परिवहन, उद्योगों, आवासीय और सड़क की धूल जैसे पीक और नॉन-पीक दोनों स्रोतों पर ध्यान देते हैं, तो सर्दियों के दौरान दिल्ली के पीएम 2.5 के स्तर को 46% तक कम करना संभव है, इससे हवा की गुणवत्ता को 'मॉडरेट' श्रेणी में लाया सकता है।

श्री सी के मिश्रा, सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC), भारत सरकार ने सस्टेनेबल डायलॉग के मंच पर कहा, "पिछले दो वर्षों में, वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास अभूतपूर्व हैं लेकिन पारिणाम मामूली हासिल हुए हैं । हमें वर्तमान वायु प्रदूषण के स्तर में कम से कम 50% की कमी लाने की आवश्यकता है। इसके लिए सतत प्रयासों की ज़रूरत है। इमरजेंसी और बिना सोचे समझे दी जाने वाली प्रतिक्रियाएं मदद नहीं करेंगी।"

टेरी के वार्षिक फ्लैगशिप इवेंट, वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट(WSDS) से पूर्व आयोजित इवेंट पर उन्होंने आगे कहा कि "वायु प्रदूषण से निपटना अकेले सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं हो सकती है। हर किसी की इसमें अलग भूमिका है। यहां तक कि अगर इसकी प्रतिकूल लागत आती है, तो इसकी कीमत हमें चुकानी होगी।"

वायु प्रदूषण से निपटने के वैश्विक अनुभव के बारे में बात करते हुए, मिशेल बर्नार्ड, अंतरिम अध्यक्ष और मुख्य परामर्शदाता, एनआरडीसी ने कहा, "जब वायु प्रदूषण को किसी देश के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से जोड़ कर देखा गया तो इसके समाधान निकालने में मदद मिली है । यह एक संकीर्ण पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है। एक बड़ी आबादी का स्वास्थ्य दांव पर लगा है। घटती उत्पादकता और बढ़ती चिकित्सा लागत को देखते हुए वायु प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए एक मज़बूत आर्थिक तर्क दिया जाना चाहिए ।

बढ़ते हुए स्वास्थ्य संकट पर सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन (सर गंगा राम हॉस्पिटल) डॉ अरविंद कुमार ने कहा, "1988 में, ज़्यादातर फेफड़े के कैंसर के मरीज़ धूम्रपान करने वाले लोग थे। 2018 में, फेफड़े के कैंसर के 50% मामले धूम्रपान न करने वालो के हैं। उन्होंने आशंका जताई है कि दिल्ली में आने वाले वर्षों में फेफड़ों के कैंसर के मामलें बढ़ेंगे ।

पीक प्रदूषण स्रोतों को कम करने के उपाय:

टेरी के आकलन से पता चलता है कि दिल्ली के समीपवर्ती राज्यों में पीक बर्निंग एक्टिविटी के दौरान पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के प्रभाव को 40 % कम किया जा सकता है । फसल अवशेषों को जलाने की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए मुख्य सिफारिशें-

  • राज्य / केंद्रीय संस्थानों द्वारा बायोमास एकत्रीकरण और संग्रह को अनिवार्य किया जाए और कृषि उपकरणों के लिए विशेष क्रेडिट लाइन/योजना बनाई जाए ।
  • बायोमास ब्रिकेट के लिए एक बाजार बनाया जाए ताकि थर्मल पावर स्टेशनों, स्थानीय उद्योगों और होटलों / ढाबों में इसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकें।
  • बायोमास फसल अवशेषों के ब्रिकेट को ईंधन के रूप में परिवर्तित कर बागवानी उत्पादन और मिल्क चिलिंग ऍप्लिकेशन्स के लिए विकेन्द्रीकृत कोल्ड स्टोरेज को चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाए ।

इसके अलावा, टेरी ने सुझाव दिया है कि रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशंस (RWA) को एक निश्चित कोटा के तहत पटाखें खरीदने चाहिए। टेरी ने 2019 में बेचे जाने वाले पटाखों की 20 % बिक्री की अनुमति देने की सलाह दी है।

नॉन-पीक प्रदूषण स्रोतों को कम करने के उपाय:

टेरी की योजना के अंतर्गत नॉन-पीक प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं:

  • ट्रांसपोर्ट- BS-IV के पूर्व मानक वाले वाणिज्यिक वाहनों की जगह BS-VI मानक वाले वाहनों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए । FAME 2 योजना के तहत दिल्ली एनसीआर में इलेक्ट्रिक बसों के प्रवेश में तेज़ी लाना, निरीक्षण और रखरखाव (I & M) प्रणाली को मज़बूत करना चाहिए क्योंकि परिवहन क्षेत्र में PM2.5 के स्तर को 19% तक कम करने की संभावना है। टेरी ने BS-IV के पूर्व निजी वाहनों के फेज़-आउट को तेज़ करने का भी सुझाव दिया। जो लोग BS-VI वाहन खरीदने के लिए BS-IV वाहनों को छोड़ना चाहें, उन्हें उत्पाद शुल्क छूट के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • उद्योग- एनसीआर में लगभग 2,226 कारखाने / संयंत्र (लगभग 50%) ने अभी तक प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल शुरू नहीं किया है । इन कारखानों को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिए उचित बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की आवश्यकता है । जहां संभव हो सके, उद्योगों को बिजली के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए । कुल मिलाकर, एनसीआर में स्थापित उद्योगों में पीएम 2.5 की सांद्रता के स्तर में 11% की कटौती करने की क्षमता है।
  • थर्मल पावर प्लांट- एनसीआर में सभी थर्मल पावर स्टेशनों को MoEFCC द्वारा पहले से ही अधिसूचित उत्सर्जन मानकों का पालन करना चाहिए और कोयले के बजाय कृषि अवशेष मिश्रण का उपयोग करना चाहिए। यह पीएम 2.5 की सांद्रता के स्तर को 3% तक नीचे ला सकता है। यदि ये प्लांट अनुपालन नहीं करते हैं, तो उन्हें पांच महीने की सर्दियों की अवधि के दौरान बंद कर दिया जाना चाहिए।
  • आवासीय- एनसीआर में 16 लाख घर अभी भी खाना पकाने के लिए बायोमास पर निर्भर है। इन परिवारों को एलपीजी में स्विच करना होगा। टेरी ने सिफ़ारिश की कि सर्दियों के मौसम के दौरान, दो मुफ्त सिलेंडर प्रदान किये जाएँ, विशेष रूप से 6 लाख गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों को। यह उपाय आवासीय क्षेत्र के प्रदूषकों के हिस्से को 5% तक नीचे ला सकता है।
  • सड़क की धूल - टेरी ने धूल नियंत्रण के लिए सड़क सफाई के लिए मौजूदा मशीनों के प्रभावी उपयोग का सुझाव दिया। इसने कहा कि छोटे मशीनीकृत रोड स्वीपिंग मशीनों पर भी विचार किया जाना चाहिए, जो इलेक्ट्रिक हो ताकि अतिरिक्त प्रदूषण भार से बचा जा सके।

About TERI

The Energy and Resources Institute (TERI) is an independent, multi-dimensional organisation, with capabilities in research, policy, consultancy and implementation. It has pioneered conversations and action in the energy, environment, climate change, and sustainability space for over four decades.

The institute's research and research-based solutions have had a transformative impact on industry and communities. Headquartered in New Delhi, it has regional centres and campuses in Gurugram, Bengaluru, Guwahati, Mumbai, Panaji, and Nainital, supported by a multidisciplinary team of scientists, sociologists, economists and engineers, and state-of-the-art infrastructure.

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