"यह कार्रवाई का समय है"-19वें विश्व पवन ऊर्जा सम्मेलन के उद्घाटन पर विशेषज्ञों की आवाज़ें

November 24, 2021
WWEC

नई दिल्ली, 24 नवंबर, 2021: हाल ही में ग्लास्गो में संपन्न हुए COP26 की पृष्ठभूमि में WWEC2021 की शुरुआत हुई, COP26 जहाँ वैश्विक प्रतिनिधियों ने उत्सर्जन में कटौती के वादों को आगे बढ़ाने की बात की और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं को 2030 तक अक्षय स्रोतों से पूरा करने की बात कही। WWEC2021 पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप देश की ऊर्जा प्रणालियों में पवन और सौर ऊर्जा की क्षमता वृद्धि में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। 'पॉवरिंग द वर्ल्ड विद विंड एंड सन' पर तीन दिवसीय सम्मेलन स्वच्छ ऊर्जा ट्रांज़िशन पर ज्ञान साझा करने और चर्चा करने के लिए 30 से अधिक देशों के पवन और सौर ऊर्जा विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों को एक साथ ला रहा है।

अपने उद्घाटन भाषण में, भारत में नार्वे के राजदूत, महामहिम मिस्टर हैंस जैकब फ़्राइडनलुंड ने देखा कि COP26 में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों को तेज़ी से अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। हमें उन विकल्पों की ओर काम करना चाहिए जो तापमान वृद्धि में योगदान नहीं करते हैं और पवन और सौर (ऊर्जा) इस समाधान का हिस्सा हैं। फ़्राइडनलुंड ने कहा। नॉर्वे, दुनिया के अक्षय ऊर्जा चैंपियनों में से एक है, जो अपनी बिजली का 87% जल विद्युत से प्राप्त करता है। हमारी पवन ऊर्जा क्षमताएं तेजी से बढ़ रही हैं; हमारी बिजली का 12% पवन ऊर्जा से आता है।"

राजदूत ने पवन क्षेत्र में भारत और नॉर्वे के बीच साझेदारी की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा।

उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, टेरी की महानिदेशक, डॉ विभा धवन ने कहा, "सम्मेलन एक महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है जब देश कम कार्बन वाले भविष्य की तरफ बढ़ रहा है और 2030 तक 500 गीगावॉट के बहुत महत्वाकांक्षी लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है। COP26 में माननीय प्रधान मंत्री ने भी इस पर ज़ोर दिया था।"

डब्ल्यूडब्ल्यूईए के अध्यक्ष श्री पीटर राय एओ ने वैश्विक अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने और इन प्रयासों के लिए वित्त को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास करने के लिए पवन ऊर्जा की आवश्यकता पर बल दिया। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के महानिदेशक डॉ अजय माथुर ने जोर देकर कहा कि बातचीत का समय खत्म हो गया है। उन्होंने कहा, "यह कार्रवाई का समय है। कल की ऊर्जा प्रणालियाँ अक्षय और परमाणु ऊर्जा स्रोतों का मिश्रण होंगी। हवा और सौर का एक स्वस्थ संयोजन पहले से ज़्यादा ज़रूरी है।"

तुलसी तांती, चेयरमैन ऑफ़ सुज़लॉन, मल्टीनेशनल विंड टरबाइन मैन्युफैक्चरर और डब्ल्यूडब्ल्यूईसी2021 के प्रायोजक ने कहा, "विंड-सौर हाइब्रिड के नए अवसर, हरित हाइड्रोजन में अवसरों को बढ़ाना और तेज करना, अपतटीय क्षेत्र को खोलना और परिवहन क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा के अनुप्रयोग से उद्योग क्षेत्र को मदद मिलेगी।"

गौरी सिंह, उप महानिदेशक, इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए) और सुमंत सिन्हा, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, रीन्यू पावर, ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें पवन और सौर ऊर्जा क्षेत्रों की क्षमताओं को समझने और इस्तेमाल करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

हितधारक पवन और सौर ऊर्जा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी नवाचारों पर चर्चा करेंगे और दुनिया भर से सीखने के आदान-प्रदान के लिए एक मंच भी प्रदान करेंगे। इस बीच अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में अग्रणी भारत, दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रमों में से एक को भी शुरू कर रहा है।

WWEC2021 का आयोजन द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) और वर्ल्ड विंड एनर्जी एसोसिएशन (WWEA) द्वारा किया जा रहा है और नॉर्वे के साथ देश के भागीदार के रूप में ISA और इंटरनेशनल सोलर एनर्जी सोसाइटी (ISES) द्वारा समर्थित है।

वर्ल्ड विंड एनर्जी एसोसिएशन के बारे में

वर्ल्ड विंड एनर्जी एसोसिएशन (WWEA) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संस्था है जो दुनिया भर में पवन क्षेत्र में काम कर रही है। 100 से अधिक देशों में 600 से अधिक सदस्यों के साथ, डब्ल्यूडब्ल्यूईए दुनिया भर में पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए और फैलाव के लिए और वैश्विक 100% नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति के अंतिम लक्ष्य के लिए काम करता है।

टेरी के बारे में

द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट यानि टेरी एक स्वतंत्र, बहुआयामी संगठन है जो शोध, नीति, परामर्श और क्रियान्वयन में सक्षम है। संगठन ने लगभग बीते चार दशकों से भी अधिक समय से ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में संवाद शुरू करने और ठोस कदम उठाने का कार्य किया है।

संस्थान के शोध और शोध-आधारित समाधानों से उद्योगों और समुदायों पर परिवर्तनकारी असर पड़ा है। संस्थान का मुख्यालय नई दिल्ली में है और गुरुग्राम, बेंगलुरु, गुवाहाटी, मुंबई, पणजी और नैनीताल में इसके स्थानीय केंद्र और परिसर हैं जिसमें वैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों और इंजीनियरों की एक बहु अनुशासनात्मक टीम कार्यरत है।

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