सोलर से चमके झारखण्ड के स्कूल: लालटेन और दिए से मिली छुट्टी

05 Aug 2020

जगमग पाठशाला परियोजना के अंतर्गत गुमला के बिशुनपुर प्रखंड में कुल 12 विद्यालयों में सोलर पावर प्लांट की स्थापना की गयी। विद्यालयों में स्थापित इन पावर प्लांट्स में इतनी क्षमता है कि विद्यालय की सभी कक्षाओं, कार्यालयों, शौचालय एवं रसोई घर में पर्याप्त रौशनी की सुविधा होती है।

Solar light

एक वक़्त था जब बिशुनपुर (झारखण्ड) के ज़्यादातर पहाड़ों और घने जंगलों के बीच बसे विद्यालयों में बच्चे कम रौशनी में पढ़ते थे। विद्यालय परिसर और आसपास में लगे पेड़ पौधों की गहनता की वजह से क्लास रूम में रौशनी नहीं पहुँचती थी। गर्मी के मौसम में तो हाल और बुरा होता। छात्रों और अध्यापकों के लिए पसीने से लथपथ होकर पढ़ना और पढ़ाना मुश्किल हो जाता। हालाँकि कुछ विद्यालयों में बिजली का कनेक्शन था लेकिन समय पर बिजली का न होना, आए दिन ट्रांसफोर्मर जल जाना, कुछ दिनों के लिए बिजली का एकदम गायब हो जाना आम बात थी। बिजली गुल होने के असर से वे बच्चे अधिक प्रभावित होते जो आवासीय विद्यालयों में रहते हैं। इन बच्चों के लिए शाम का होमवर्क करना और अतिरिक्त पाठ्यक्रम को पूरा करना एक चुनौती बन जाता। इस समस्या से निपटने के लिए उन्हें एक निर्धारित समय के लिए जनरेटर सुविधा दी गयी और इस समय के भीतर ही उन्हें अपना काम पूरा करना होता नहीं तो उन्हें लालटेन और मोमबत्ती का इस्तेमाल करना होता।

Solar light

लेकिन ऐसे हालात में बच्चों के पढ़ाई करने से उन्हें आँखों से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता। लालटेन-दिए से निकलने वाले प्रदूषित धुएं के कारण ये बच्चे खांसी एवं बीमारी से प्रभावित हुए। अगर इन समस्याओं के बारे में इन बच्चों से बात करते तो ये कहते कि हम कर ही क्या सकते हैं। इसके अलावा इन बच्चों के पास कोई जवाब नहीं होता।

लेकिन अब इन बच्चों के जवाब बदल चुके हैं। अब इन्हें लालटेन या दिए की कम रौशनी में पढ़ने से छुटकारा मिल गया है। और इसमें इनकी मदद की जगमग पाठशाला परियोजना ने। यह परियोजना; Signify Innovations India Limited (पहले फिलिप्स लाइटिंग इंडिया लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) द्वारा वित्त प्रदत है। टेरी (द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट) इस परियोजना को अपने टेक्निकल और फील्ड अनुभव के आधार पर लागू कर रही है। टेरी संस्था ने विद्यालयों की ज़रूरत के हिसाब से पावर प्लांट्स की स्थापना की। विद्यालयों में स्थापित इन पावर प्लांट्स में इतनी क्षमता है कि विद्यालय की सभी कक्षाओं, कार्यालयों, शौचालय एवं रसोई घर में पर्याप्त रौशनी की सुविधा होती है।

विद्यालय की कक्षाओं और कार्यालयों में पंखे की भी निर्वाध सुविधा मिलती है। इससे अब टीवी, कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर, मोबाइल चार्जिंग एवं अन्य ज़रूरी उपकरणों को जब ज़रूरत हो चलाया जा सकता है। अब पहले की तरह बिजली गुल होने की समस्या नहीं है। विद्यालय आने से लेकर घर जाने तक और आवासीय विद्यालयों में शाम के वक्त एवं रात में जब कभी ज़रूरत हो बच्चे अपना होमवर्क या अन्य पाठ्यक्रम निश्चिन्त होकर पूरा कर पाते हैं।

Solar light

इस परियोजना के तहत गुमला के बिशुनपुर प्रखंड में कुल 12 विद्यालयों का चयन कर प्रत्येक में 2 से 3 किलोवाट क्षमता वाले सोलर पावर प्लांट की स्थापना जनवरी-फरवरी माह 2019 में की गई।

जगमग पाठशाला परियोजना प्रभारी मनीष कुमार पांडेय बताते हैं कि "शुरुआत में टेरी ने "Lighting a Billion Lives" परियोजना के अंतर्गत 120 विद्यालय में सोलर सिस्टम की स्थापना की। ये सभी विद्यालय दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित हैं। इस परियोजना से छात्रों को बहुत फायदा हुआ। इसके बाद सिग्नीफाई इनोवेशन इंडिया लिमिटेड ने "जगमग पाठशाला परियोजना" की शुरुआत की। इसे लागू करने और टेक्निकल सहयोग के लिए टेरी को चुना। इस परियोजना के अंतर्गत पहले साल में झारखंड के 21 विद्यालयों में सोलर सिस्टम की स्थापना की गयी। ये सारे विद्यालय राज्य सरकार द्वारा संचालित हैं। इनमें पढ़ने वाले बच्चों को इससे काफ़ी लाभ मिला। इसके सफल परिणाम को देखते हुए, इस परियोजना को आगे बढ़ाते हुए 30 विद्यालय में सोलर सिस्टम लगाने का काम अभी चल रहा है। झारखंड के अलावा इस परियोजना को मेघालय और पश्चिम बंगाल में भी लागू करने का काम चल रहा है।"