वेटलैंड्स: एक बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा

02 Feb 2021

आज वर्ल्ड वेटलैंड्स डे है। दुर्लभ, लुप्तप्राय प्रजातियों, बाढ़ नियंत्रण, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में वेटलैंड्स का बड़ा महत्व है लेकिन बढ़ते शहरीकरण, बाँध निर्माण, जलाशयों में अपशिष्ट के प्रवाह के कारण ये वेटलैंड नष्ट हो रहे हैं।

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राजहंस, मैंग्रोव, नवी मुंबई

वेटलैंड की परिभाषा

जलमग्न अथवा आर्द्रभूमि (वेटलैंड) का अर्थ है ऐसी प्राकृतिक अथवा कृत्रिम, स्थायी अथवा अस्थायी, पूर्णकालीन आर्द्र अथवा अल्पकालीन, स्थिर जल अथवा अस्थिर जल, निकाय, अथवा समुद्री जल, जहाँ भाटा-जल की गहराई छः मीटर से अधिक ना हो [1]। स्वाम्प, मार्श, मैंग्रोव, बोग, पीट्लैंड, फैंन, यहाँ तक की डेल्टा, धान के खेत, मत्स्य पालन जलाशय आदि भी वेटलैंड के अन्तर्गत आते हैं।

क्यों आवश्यक हैं वेटलैंड्स?

वेटलैंड्स विश्व के सबसे उपजाऊ पारिस्थितिकी तन्त्र (ईकोसिस्टम्स) में से एक हैं। इनके प्रमुख उपयोग/ लाभ इस प्रकार हैं:

  • अनेक दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए आश्रय प्रदान करना
  • कार्बन पृथक्करण (कार्बन सेक्वेस्ट्रेशन)
  • बाढ़ नियंत्रण
  • भूजैवरसायन चक्र (बायोजिओकेमिकल साइकिल) का नियंत्रण
  • जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) के प्रतिकूल प्रभाव को कम करना
  • आजीविका के अवसर प्रदान करना (मत्स्य पालन, शहद उत्पादन, आदि)

क्यों संकट में हैं विश्व के वेटलैंड्स?

आज के समय में मानवजनित गतिविधियों के कारण पर्यावरण पर होने वाले दुष्प्रभाव जग विख्यात हैं । सभी पारिस्थितिकी तंत्रों (इकोसिस्टम) इन दुष्प्रभावों से प्रभावित हैं। यदि वेटलैंड्स की बात करें, तो ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक (रामसर कन्वेंशन), के अनुसार विश्व के 35% वेटलैंड्स 1970 - 2015 के बीच लुप्त हो गए हैं[2]। वेटलैंड्स के लुप्त / नष्ट होने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

  • बढ़ता शहरीकरण
  • जलाशयों में अनुपचारित अपशिष्ट का प्रवाह
  • कृषि अपवाह
  • बांध निर्माण
  • निर्माण मलबे को वेटलैंड्स में प्रवृत करना

रामसर कन्वेंशन: वेटलैंड संरक्षण का अंतर्राष्ट्रीय प्रयास

विश्वभर में वेटलैंड्स के संरक्षण एवं स्थायी उपयोग के उद्देश्य से 2 फ़रवरी 1971 में ईरान के रामसर शहर में इस अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (संधि) को अपनाया गया था। यह संधि वेटलैंड्स के मौलिक पारिस्थितिक कार्यों और उनके आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और मनोरंजक मूल्य को मान्यता देती है [3]

इस कन्वेंशन के तीन प्रमुख स्तंभ हैं, जिसके अंतर्गत सभी सन्धिकर्ता देश (साइनिंग पार्टीज़) निम्लिखित के लिए प्रतिबद्ध हैं[4] :

  • राष्ट्रीय व्यवस्था के माध्यम से अपने सभी आर्द्रभूमि के बुद्धिमान उपयोग की दिशा में काम करते हुए योजनाओं, नीतियों और कानून प्रबंधन कार्य एवं जनता जागरूकता व शिक्षा के प्रयास करना
  • वेटलैंड्स की सूची के लिए उपयुक्त आर्द्रभूमि नामित कर अंतर्राष्ट्रीय महत्व ("रामसर सूची") और उनकी सुनिश्चितता का प्रभावी प्रबंधन
  • ट्रांसबाउंड्री वेटलैंड्स पर अंतर्राष्ट्रीय रूप से सहयोग, साझा वेटलैंड सिस्टम, साझा प्रजातियां, और विकास परियोजनाओं का प्रबंधन जो वेटलैंड्स को प्रभावित कर सकता है

इस कन्वेंशन के अंतर्गत आज विश्वभर में 2413 रामसर साइट्स हैं। इन में से ब्राज़ील में स्थित पंतनल वेटलैंड्स विश्व का सबसे बड़ा वेटलैंड है। इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय महत्व की सूचि ('वेटलैंड्स ऑफ इंटरनेशनल इंपोर्टेंस) में आने वाले वेटलैंड्स जहां पारिस्थितिक चरित्र में विविधताएं हुई हैं, हो रही हैं, या तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानवीय हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप होने की संभावना है, उन्हें मॉन्ट्रो रिकॉर्ड (Montreux Record) में दर्ज किया जाता है। भारत में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान और लोकतक लेक, मणिपुर मॉन्ट्रो रिकॉर्ड में दर्ज हैं।

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मैंग्रोव, नवी मुंबई

भारत में रामसर साइट्स

भारत, 1 फ़रवरी 1982 से रामसर कन्वेंशन का सन्धिकर्ता राष्ट्र है । दिसंबर 2020 तक भारत में 42 रामसर साइट्स हैं। इन में से हिमाचल प्रदेश में स्थित रेणुका वेटलैंड भारत का सबसे छोटा रामसर साइट् है। यह सभी वेटलैंड अंतराष्ट्रीय महत्व के पाए गए हैं। यह साइट्स विभिन्न दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का आश्रय हैं, जैसे कि:

  • लोकतक लेक में स्थित दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान 'कीबुल लामजाओ नेशनल पार्क’, ब्रो-एन्टेरेल्ड हिरण या संगाई का एकमात्र प्राकृतिक आवास है।
  • लेह में स्थित त्सोमोरिरी लेक लुप्तप्राय ब्लैक-नेक्ड क्रेन (ग्रस नाइग्रीकोलिस) के लिए चीन के बाहर एकमात्र प्रजनन मैदान, और भारत में बार-हेडेड गीज़ (एंसर इंडिकस) के लिए एकमात्र प्रजनन मैदान है
  • केरल में स्थित सस्तमकोट्टा लेक में कवाबोरुस (Cavaborus) नामक लार्वा पाया जाता है जो कि बैक्टीरिया को नष्ट करता है जिस कारण इस लेक के पानी की गुणवत्ता एवं शुद्धता असाधारण है।

विश्व वेटलैंड्स दिवस (वर्ल्ड वेटलैंड्स डे)

प्रत्येक वर्ष 2 फ़रवरी को विश्व वेटलैंड्स दिवस (वर्ल्ड वेटलैंड्स डे) मनाया जाता है। यह दिन रामसर कन्वेंशन को अपनाने का प्रतीक है और वेटलैंड्स सम्बंधित जागरूकता बढ़ाने और वेटलैंड्स के संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष वर्ल्ड वेटलैंड्स डे के लिए एक विषय निश्चित किया जाता हैं, जैसे इस वर्ष विश्व वेटलैंड्स दिवस का विषय है ‘वेटलैंड्स एंड वॉटर’ । प्रत्येक वर्ष के निर्धारित विषय को ध्यान में रखते हुए उस वर्ष के वेटलैंड्स डे से सम्बंधित कार्यक्रम तय किये जाते हैं। यह कार्यक्रम सरकारी संस्थाओ, गैर सरकारी संगठनों, शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थाओं व नागरिक समाज संगठनों द्वारा आयोजित किये जाते हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से ना केवल जागरूकता फैलाई जाती है बल्कि स्थानीय निवासियों को अपने आस पास के जलाशयों के संरक्षण एवं स्वच्छता से सम्बंधित गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाता है। टेरी (TERI) में हम पिछले कई वर्षो से वेटलैंड्स डे पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते आए हैं। इस वर्ष की परिस्थतियों और सरकारी नियमों को ध्यान में रखते हुए टेरी ने एक ऑनलाइन 'वेटलैंड्स क्विज' का आयोजन किया। यह कार्यक्रम नवी मुंबई एनवायरनमेंट प्रिजर्वेशन सोसाइटी (ऍन एम इ पी एस) के साथ साझेदारी में आयोजित किया गया, जो नवी मुंबई शहर में पर्यावरण सुधार एवं जागरूकता के लिए काम करने वाली संस्था है। इस क्विज में 1100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया ।

इस विश्व वेटलैंड्स दिवस पर, संकल्प लें कि अपने आस पास के सभी जलशयों के संरक्षण एवं स्वच्छता सम्बंधित कार्यों में यथासंभव अपना पूरा योगदान देंगे तथा इस विषय पर अपने आस पास लोगों को जागरूक करेंगे।

पूर्व वर्षों में विश्व वेटलैंड्स दिवस पर टेरी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी के लिए ये लिंक्स फॉलो करें:

Footnotes

[1] https://hindi.indiawaterportal.org/content/vaetalaainda-aradarabhauumai-wetland/content-type-page/66729
[2] https://static1.squarespace.com/static/5b256c78e17ba335ea89fe1f/t/5b9ffd2e0e2e7277f629eb8f/1537211739585/RAMSAR+GWO_ENGLISH_WEB.pdf
[3] http://wiienvis.nic.in/Database/ramsar_wetland_sites_8224.aspx
[4] https://www.ramsar.org/sites/default/files/documents/library/introducing_ramsar_web_eng.pdf

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Water pollution

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